Thursday 9 April 2015

श्री नरेंद्र मोदी की जीवन गाथा

निजी जीवन गाथा

26 मई, 2014 की शाम को राष्ट्रपति भवन के प्रांगण में एक इतिहास लिखा गया जब श्री नरेंद्र मोदी ने भारत की जनता से ऐतिहासिक जनादेश प्राप्त करने के बाद भारत के प्रधान मंत्री के रूप में शपथ ली। भारत की जनता ने श्री नरेंद्र मोदी में एक ऐसे ओजस्वी, निर्णायक तथा विकासोन्मुख नेता की छवि देखी जो करोड़ों भारतीयों के सपनों और आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए आशा की एक किरण बनकर सामने आए हैं। विकास पर जोर देने, विस्तार पर नज़र रखने तथा गरीबों के जीवन में गुणात्मक बदलाव लाने के उनके प्रयासों ने श्री नरेंद्र मोदी को संपूर्ण भारत में एक लोकप्रिय तथा सम्मानित नेता बना दिया है।
श्री नरेंद्र मोदी का जीवन साहस, संवेदना तथा सतत् कठिन परिश्रम वाला रहा है। छोटी उम्र में ही उन्होंने अपने जीवन को जनता की सेवा में लगाने का निर्णय ले लिया था। उन्होंने निचले स्तर के कार्यकर्ता, एक संगठक तथा अपने गृह राज्य गुजरात के मुख्य मंत्री के रूप में अपने 13 वर्ष के लंबे शासनकाल के दौरान एक प्रशासक के रूप में अपने कौशल का परिचय दिया। यहां उन्होंने जन-हितैषी तथा सक्रिय सुशासन की शुरूआत करते हुए शासन में आमूल परिवर्तन किया।

सृजनात्मक वर्ष

श्री नरेंद्र मोदी की प्रधान मंत्री कार्यालय तक की प्रेरणाप्रद जीवन-यात्रा उत्तर गुजरात के मेहसाणा जिले के एक छोटे-से कस्बे वडनगर की गलियों से शुरू हुई। उनका जन्म भारत की आजादी के तीन वर्ष बाद 17 सितंबर, 1950 को हुआ। वे पहले प्रधान मंत्री हैं जिनका जन्म स्वतंत्र भारत में हुआ। श्री नरेंद्र मोदी श्री दामोदरदास मोदी तथा श्रीमती हीराबा मोदी की तीसरी संतान हैं। श्री नरेंद्र मोदी एक साधारण तथा विनम्र परिवार से हैं। उनका पूरा परिवार लगभग 40/12 फीट के छोटे-से एक मंजिला मकान में रहता था।
श्री नरेंद्र मोदी के सृजनात्मक वर्षों ने उन्हें शुरू से ही कठिन परिश्रम करना सिखाया जिसके फलस्वरूप ही वे अपनी पढ़ाई तथा पढ़ाई के बाद के जीवन के बीच तालमेल बिठा पाए और अपने परिवार की चाय की दुकान पर काम करने के लिए समय निकाल पाए क्योंकि उनके परिवार को दो वक्त की रोटी की व्यवस्था करने के लिए संघर्ष करना पड़ता था। उनके स्कूल के दिनों के मित्र बताते हैं कि वे बचपन से ही बहुत मेहनती रहे। वे चर्चा करने के लिए तत्पर रहते थे तथा पुस्तकें पढ़ने के लिए उत्सुक रहते थे। उनके सहपाठी बताते हैं कि किस तरह श्री मोदी स्थानीय पुस्तकालय में घटों स्वाध्याय किया करते थे। बचपन में उन्हें तैराकी का भी शौक था।
बचपन से ही श्री नरेंद्र मोदी के विचार तथा सपने उनके हमउम्र बच्चों के विचार से बिलकुल अलग थे। शायद यह वडनगर का ही प्रभाव था क्योंकि यह सदियों पहले बौद्ध शिक्षा तथा अध्यात्म का जीवंत केंद्र था। बचपन में भी वे समाज में बदलाव लाने के प्रबल पक्षधर थे। वे स्वामी विवेकानंद के कार्यों से अत्यधिक प्रभावित थे जिससे उनके जीवन में अध्यात्म की नींव पड़ी और भारत को जगत-गुरू बनाने के स्वामी जी के सपने को पूरा करने की दिशा में कार्य करने की प्रेरणा मिली।
17 वर्ष की आयु में उन्होंने संपूर्ण भारत की यात्रा करने के लिए घर छोड़ दिया। दो वर्षों तक उन्होंने विभिन्न संस्कृतियों का पता लगाने के लिए भारत के विशाल भू-खंड की यात्रा की। जब वे घर लौटे तब वे एक अलग ही व्यक्ति थे जिसे यह स्पष्ट पता था कि उन्हें जीवन में कौन-सा लक्ष्य हासिल करना है। वे अहमदाबाद चले गए और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) से जुड़ गए। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ एक सामाजिक-सांस्कृतिक संगठन है, जो भारत में सामाजिक एवं सांस्कृतिक पुनर्जागरण का कार्य कर रहा है। 1972 में अहमदाबाद में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का प्रचारक बनने के बाद से श्री नरेंद्र मोदी की कठिन दिनचर्या है। उनकी दिनचर्या प्रातः 5 बजे शुरू होती है और देर रात तक चलती है। 1970 के दशक के आखिरी दिनों ने यह भी देखा कि युवा नरेंद्र मोदी ने भारत में आपातकाल के दौरान दमित किए जा रहे प्रजातंत्र की पुनर्बहाली के लिए चलाए जा रहे आंदोलन में हिस्सा लिया।
1980 के दशक में संघ में अलग-अलग जिम्मेदारियां लेते हुए श्री नरेंद्र मोदी अपने संगठन कौशल के नमूने के साथ एक संगठक के रूप में सामने आए। 1987 में नरेंद्र मोदी के जीवन का एक अलग अध्याय तब शुरु हुआ जब उन्होंने गुजरात में भारतीय जनता पार्टी के महासचिव के रूप में कार्य करना शुरु किया। अपने पहले कार्य में श्री नरेंद्र मोदी ने अहमदाबाद के नगर निगम चुनावों में भारतीय जनता पार्टी को पहली बार जीत दिलाई। उन्होंने 1990 के गुजरात विधान सभा चुनावों में भी भारतीय जनता पार्टी को कांग्रेस के बाद दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनाई। 1995 के विधान सभा चुनावों में श्री नरेंद्र मोदी के संगठन कौशल के फलस्वरूप भारतीय जनता पार्टी का मत प्रतिशत बढ़ा और पार्टी ने 121 सीटें जीतीं।

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